Default Featured Image

खुदा के नाम एक नारी का खत.

by | Dec 3, 2019 | Poem

ए खुदा! ये कैसी दुनिया बनाई तूने?

अगर बनाई भी…तो औरत क्यूँ बनाई तूने?

 

तेरे बनाए हुए बन्दे भूल चुके हैं,

औरत की इज़्ज़त करना  |

ये तो दिखावे के लिए मातारानी की पूजा करते हैं |

 

हेवानियत पर उतर आए तेरे बन्दे

जो दिन रात शिकार की तलाश में रहते हैं |

जिस औरत ने इन  हैवानों की हेवानियत बर्दाश्त की है

सभ्य समाज की तथाकथित भले लोग

उसी को दोषी ठहराते हैं |

 

जब ये औरत लापता हो जाए

तब उसी को कसूरवार करार देते हैं |

कहते हैं की नारी की वस्त्रधारणा में खराबी है |

चलो, अगर मान भी लिया की इनके वस्त्रों का दोष है,

एक नौ महीने के शिशु, एक आठ साल की बच्ची,

इनका क्या कसूर है?

इन मासूमों को देखकर भी तेरे बंदों में काम की वासना जाग उठी |

 

ना छोटी बालिकाएँ, ना कन्यायें और ना बूढ़ी-अमाएँ,

हर किसी पर तेरे बन्दे अत्याचार करते हैं |

न  मां, न  बेटी, न  बहन और न  कोई और स्त्री,

तेरे बन्दों की ये कोई नही लगतीं |

बस लगतीं हैं तो सिर्फ़ इन्हे माँस की पुतलियाँ,

जिनपर ये अपनी वासना से आक्रमण कर सके |

 

ए खुदा! सोचले…

तेरी बनाई हुई दुनिया तुझे चेतावनी दे रही है |

इनका विश्वास उठने से पहले सोचले की

आख़िर ये दुनियाँ  क्यूँ बनाई तूने?

अगर बनाई भी..तो औरत क्यूँ बनाई तूने?